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Mother Tongue जन्म लेने के बाद मानव जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा, किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है।
अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस २१ फ़रवरी को मनाया जाता है। १७ नवंबर, १९९९ को यूनेस्को ने इसे स्वीकृति दी।
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व में भाषाई एवँ सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा मिले।
आज जिस सामाजभाषाविज्ञान की चर्चा की जाती है, वह समाजशास्त्र और भाषाविज्ञान के मात्र अवमिश्रण का न तो परिणाम है और न ही वह सामाजिक-व्यवस्था और भाषिक व्यवस्था की कोई सह-संकल्पना है वह यह मानकर चलता है कि भाषा, समाज सापेक्ष प्रतीक व्यवस्था है और इस प्रतीक-व्यवस्था के मूल में ही सामाजिक तत्व निहित रहते है हम किसी एक व्यक्ति के लिए कहते हैं-
आप इधर आइए।
तो दूसरे व्यक्ति से बोलते है -
तू इधर आ।
जब हम प्रतिष्ठा प्राप्त डॉक्टर या प्रोफेसर से कहते है-
कृपया बताइए कि....
जबकि किसी धोबी या मोची से बात करते हुए बोलते हैं -
तू यह बता कि...
इसी प्रकार अपने माता-पिता या दादा नाना से बहुवचन का प्रयोग करते हुए बोलते हैं-
आप यहाँ बैठें।
जबकि छोटे बेटे-बेटी या नाती-पोतों से बातचीत करते समय एकवचन का प्रयोग करते हुए कहते हैं-
तू यहाँ बैठ, या फिर तुम यहाँ बैठो।
एक ताज़ा भाषाई अनुमान के मुताबिक़ दुनिया में एक वक़्त कुल छह हज़ार आठ सौ नौ भाषाएँ बोली जाती थीं[] लेकिन उनकी संख्या तेज़ी से कम हो रही है। क्योंकि 90 प्रतिशत भाषाएँ ऐसी हैं जिनके बोलने वालों की संख्या एक लाख से कम है। 537 भाषाएँ ऐसी भी हैं जिनके बोलने वाले पचास से भी कम रह गए हैं लेकिन ज़्यादा अफ़सोसनाक हालत उन 46 भाषाओं की है जो आने वाले चंद सालों में ख़त्म होने वाली हैं क्योंकि उनके बालने वाला सिर्फ़ एक-एक ही इनसान बाक़ी रह गया है। चीन में बोली जाने वाली मन्दारिन भाषा आबादी के लिहाज़ से दुनिया की सबसे बड़ी भाषा समझी जाती है जबकि अंग्रेज़ी भाषा दूसरे नंबर पर है।हिंदी और उर्दू को अगर एक भाषा माना जाए तो आबादी के लिहाज़ से वो विश्व की तीसरी बड़ी भाषा है
दस से पंद्रह करोड़ तक ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अपनी ज़रूरत के लिए अंग्रेज़ी सीखी है लेकिन ऐसे लोगों की संख्या अब तेज़ी से बढ़ रही है जिनकी न तो यह मातृ भाषा है और न ही संपर्क भाषा.अलबत्ता शिक्षा, रोज़गार या केवल बौद्धिक ज्ञान के विस्तार के उद्देश्य से उन्होंने अंग्रेज़ी में महारत हासिल की है। रेडियो, टीवी, फ़िल्म और ख़ासतौर पर इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने के साथ-साथ अंग्रेज़ी का इस्तेमाल भी बढ़ता जा रहा है। एक भाषा के तौर पर अंग्रेज़ी की प्रकृति को पूरी तरह समझने के लिए भाषा विज्ञान के कुछ आधारभूत सिद्धांतों का जानना ज़रूरी है। मसलन हमें मालूम होना चाहिए कि दुनिया भर की भाषाएँ किन समूहों में बँटी हैं और किसी भी भाषा के समझने के लिए उसकी उत्पत्ति जानना ज़रूरी है।
बोली भाषा की छोटी इकाई है। इसका सम्बन्ध ग्राम या मण्डल से रहता है। इसमें प्रधानता व्यक्तिगत बोली की रहती है और देशज शब्दों तथा घरेलू शब्दावली का बाहुल्य होता है। यह मुख्य रूप से बोलचाल की ही भाषा है। अतः इसमें साहित्यिक रचनाओं का प्रायः अभाव रहता है। व्याकरणिक दृष्टि से भी इसमें असाधुता होती है।
विभाषा का क्षेत्र बोली की अपेक्षा विस्तृत होता है यह एक प्रान्त या उपप्रान्त में प्रचलित होती है। एक विभाषा में स्थानीय भेदों के आधार पर कई बेलियां प्रचलित रहती हैं। विभाषा में साहित्यिक रचनाएं मिल सकती हैं।
भाषा, अथवा कहें परिनिष्ठित भाषा या आदर्श भाषा, विभाषा की विकसित स्थिति हैं। इसे राष्ट्र-भाषा या टकसाली-भाषा भी कहा जाता है।
प्रायः देखा जाता है कि विभिन्न विभाषाओं में से कोई एक विभाषा अपने गुण-गौरव, साहित्यिक अभिवृद्धि, जन-सामान्य में अधिक प्रचलन आदि के आधार पर राजकार्य के लिए चुन ली जाती है और उसे राजभाषा के रूप में या राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया जाता है।
इंटरनेट पर भी हिंदी का दबदबा बढ़ने जा रहा है। 2021 तक भारतीय भाषाओं वाले इंटरनेट यूजरों(53.6 करोड़) में एक तिहाई से अधिक हिंदी का इस्तेमाल करने वाले होंगे। यह तकनीक वाले इस युग में हिंदी की एक नई छलांग होगी।
दूसरे नंबर पर मराठी भाषा (5.1 करोड़) होगी। यह कुल इंटरनेट यूजरों का नौ प्रतिशत होगा। हिंदी और मराठी के बाद बंगाली (4.2 करोड़), तमिल (3.2 करोड़), तेलुगु (3.1 करोड़) और गुजराती (2.6 करोड़) का नंबर आएगा।
भारतीय भाषाओं में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों में 99 प्रतिशत लोग मोबाइल के जरिये इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। कुल मिलाकर भारत में 78 प्रतिशत इंटरनेट यूजर मोबाइल के जरिये वेब एक्सेस करते हैं। 148 प्रतिशत इंटरनेट यूजर मानते हैं कि स्थानीय भाषाओं में डिजिटल कंटेंट इंग्लिश की तुलना में ज्यादा भरोसेमंद है।
The top 8 languages of India according to Total speakers (including L2 and L3 speakers) according to 2001 census are:
Hindi — 551.4 Million.
English — 125.3 Million.
Bengali — 91.1 Million.
Telugu — 84.9 Million.
Marathi — 84.1 Million.
Tamil — 66.7 Million.
Urdu — 59.1 Million.
Kannada — 50.7 Million.
संघ की राजभाषा-
अनुच्छेद 343 में संघ की राजभाषा के संबंध में जो कहा गया है, उसका सार यह है कि संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष के लिए सब राजकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी के प्रयोग के विषय में उस अनुच्छेद के खंड 2 में तथा उस कालावधि के पश्चात् अंग्रेजी भाषा के प्रयोग और अंकों के देवनागरी रूप के प्रयोग के विषय में उसी अनुच्छेद के खंड 3 में बताया गया है।