Friday, 26 May 2017

Brajbhasha Story

Brajbhasha Story-

No automatic alt text available.

कउआ और लौमड़ी - 
एक बार एक कउआ ऍह एक रोटी मिल गयी हती, लोमड़ी नै सोचौ चौं नाँय मैं या कउआऐ पागल बनांयकैं रोटीऐ लै लऊँ लौमड़ी बोली- कउआ भईया तुम इतनौ अच्छौ गामतें मोउऐ एक गानों सुनाय देऔ कउआ नै जैसेंई गाबे कूँ मौह खोल्यौ लौमड़ी रोटीए लें कैं चली गयी |
बिचारौ कउआ देखतौ ई रहगौ,या कहानी ते हमैं ई शिक्षा मिलतै कैं हमें बहकाबे में नाँय आनौ चहियै |
कछुआ और खरगोश-
एक कछुआ और एक खऱगोशऔ, बिन दोनोंन में होड़ है गयी कै को आयगें निकरैगौ खरगोश बोल्यौ कै मैं ई आयगें निकरंगों तौ बिचारौ कछुआ बोल्यौ चल भईया खेंच लै लाइन|
दोनोंन नै भागबौ शुरू कर दियौ खरगोश तौ कुदक कुदक कैं भागकैं आयगें निकरगौ बिचारौ कछुआ हौलें हौलें आगे मॉंऊँ बढतौ गयौ, पल्लंगकूँ खरगोश नै देखौ कै अबई कछुआ बहौत दूर ऍह मैं नैक दमई लै लऊँ |
बा के चक्कर बाय औंग आयगई और बू सोयगौ बितकूँ कछुआ हौलें हौलें बा ते आयगें निकर कैं जीत बारी लाइन पे पहौंचगौ, अब इतकूँ खरगोश की आँख खुली तौ चक्क बक्क हैगौ
और अब बाके खूब समझ में आयगी कै मेरौ घमंड चूर चूर हैगौ ऍह, तौ लालाऔ या कथा ते ई शिक्षा मिलतै कै कभउ मैंमेरी मत दिखाऔ |
प्यासौ कउआ-
एक कउआऔ | बू बहौत प्यासौ | बू पानी की खोज में सबराँ उड़ उड़ कैं देखरौ | हतो, फिर नैक देर पीछैं बाय पानी कौ चपटा दिखाई दियौ |
बू उतरकैं चपटा के ढिंग आयौ फिर बा नै देखौ कै चपटा में पानी तौ कम ऍह | फिर बाके दिमाग में एक तरकीब आयी कै यामें कछु कंकड़ डारने चहियें |
तबई पानी ऊपर आबैगौ , बानै कंकड़ ला लाकैं चपटा में डारे |पानी ऊपर आयगौ, और कउआ पानी पी कैं उड़ गयौ | | या कहानी ते हमें ई शिक्षा मिलतै की हमें अपने काम के लैं मेहनत करनी चहिए |

No comments:

Post a Comment