पंडित
गौरीदत्त (1936 - 8 फ़रवरी 1906), देवनागरी के प्रथम प्रचारक व अनन्य भक्त
थे। बच्चों को नागरी लिपि सिखाने के अलावा आप गली-गली में घूमकर उर्दू,
फारसी और अंग्रेजी की जगह हिंदी और देवनागरी लिपि के प्रयोग की प्रेरणा
दिया करते थे।
देवनागरी लिपि के गुण----
ध्वन्यात्मक क्रम (phonetic order) -एक ध्वनि के लिये एक सांकेतिक चिह्न -- जैसा बोलें वैसा लिखें।
एक सांकेतिक चिह्न द्वारा केवल एक ध्वनि का निरूपण -- जैसा लिखें वैसा पढ़ें।
मात्राओं की संख्या के आधार पर छन्दों का वर्गीकरण : यह भारतीय लिपियों की अद्भुत विशेषता है कि किसी पद्य के लिखित रूप से मात्राओं और उनके क्रम को गिनकर बताया जा सकता है कि कौन सा छन्द है। रोमन, अरबी एवं अन्य में यह गुण अप्राप्य है।
उच्चारण और लेखन में एकरुपता
लिपि चिह्नों के नाम और ध्वनि मे कोई अन्तर नहीं (जैसे रोमन में अक्षर का नाम “बी” है और ध्वनि “ब” है)
लेखन और मुद्रण मे एकरूपता (रोमन, अरबी और फ़ारसी मे हस्तलिखित और मुद्रित रूप अलग-अलग हैं)
देवनागरी, 'स्माल लेटर" और 'कैपिटल लेटर' की अवैज्ञानिक व्यवस्था से मुक्त है।
भारतवर्ष के साहित्य में कुछ ऐसे रूप विकसित हुए हैं जो दायें-से-बायें अथवा बाये-से-दायें पढ़ने पर समान रहते हैं। उदाहरणस्वरूप केशवदास का एक सवैया लीजिये :
मां सस मोह सजै बन बीन, नवीन बजै सह मोस समा।
मार लतानि बनावति सारि, रिसाति वनाबनि ताल रमा ॥
मानव ही रहि मोरद मोद, दमोदर मोहि रही वनमा।
माल बनी बल केसबदास, सदा बसकेल बनी बलमा ॥
इस सवैया की किसी भी पंक्ति को किसी ओर से भी पढिये, कोई अंतर नही पड़ेगा।
सदा सील तुम सरद के दरस हर तरह खास।
सखा हर तरह सरद के सर सम तुलसीदास॥
लिपि-विहीन भाषाओं के लिये देवनागरी-
दुनिया की कई भाषाओं के लिये देवनागरी सबसे अच्छा विकल्प हो सकती है क्योंकि यह यह बोलने की पूरी आजादी देता है। दुनिया की और किसी भी लिपि मे यह नही हो सकता है। इन्डोनेशिया, विएतनाम, अफ्रीका आदि के लिये तो यही सबसे सही रहेगा। अष्टाध्यायी को देखकर कोई भी समझ सकता है की दुनिया मे इससे अच्छी कोई भी लिपि नहीं है। अगर दुनिया पक्षपातरहित हो तो देवनागरी ही दुनिया की सर्वमान्य लिपि होगी क्योंकि यह पूर्णत: वैज्ञानिक है। अंग्रेजी भाषा में वर्तनी (स्पेलिंग) की विकराल समस्या के कारगर समाधान के लिये देवनागरी पर आधारित देवग्रीक लिपि प्रस्तावित की गयी है।
Writing systems worldwide. Principal scripts at the national level, with selected regional and minority scripts.
देवनागरी लिपि के गुण----
ध्वन्यात्मक क्रम (phonetic order) -एक ध्वनि के लिये एक सांकेतिक चिह्न -- जैसा बोलें वैसा लिखें।
एक सांकेतिक चिह्न द्वारा केवल एक ध्वनि का निरूपण -- जैसा लिखें वैसा पढ़ें।
मात्राओं की संख्या के आधार पर छन्दों का वर्गीकरण : यह भारतीय लिपियों की अद्भुत विशेषता है कि किसी पद्य के लिखित रूप से मात्राओं और उनके क्रम को गिनकर बताया जा सकता है कि कौन सा छन्द है। रोमन, अरबी एवं अन्य में यह गुण अप्राप्य है।
उच्चारण और लेखन में एकरुपता
लिपि चिह्नों के नाम और ध्वनि मे कोई अन्तर नहीं (जैसे रोमन में अक्षर का नाम “बी” है और ध्वनि “ब” है)
लेखन और मुद्रण मे एकरूपता (रोमन, अरबी और फ़ारसी मे हस्तलिखित और मुद्रित रूप अलग-अलग हैं)
देवनागरी, 'स्माल लेटर" और 'कैपिटल लेटर' की अवैज्ञानिक व्यवस्था से मुक्त है।
भारतवर्ष के साहित्य में कुछ ऐसे रूप विकसित हुए हैं जो दायें-से-बायें अथवा बाये-से-दायें पढ़ने पर समान रहते हैं। उदाहरणस्वरूप केशवदास का एक सवैया लीजिये :
मां सस मोह सजै बन बीन, नवीन बजै सह मोस समा।
मार लतानि बनावति सारि, रिसाति वनाबनि ताल रमा ॥
मानव ही रहि मोरद मोद, दमोदर मोहि रही वनमा।
माल बनी बल केसबदास, सदा बसकेल बनी बलमा ॥
इस सवैया की किसी भी पंक्ति को किसी ओर से भी पढिये, कोई अंतर नही पड़ेगा।
सदा सील तुम सरद के दरस हर तरह खास।
सखा हर तरह सरद के सर सम तुलसीदास॥
लिपि-विहीन भाषाओं के लिये देवनागरी-
दुनिया की कई भाषाओं के लिये देवनागरी सबसे अच्छा विकल्प हो सकती है क्योंकि यह यह बोलने की पूरी आजादी देता है। दुनिया की और किसी भी लिपि मे यह नही हो सकता है। इन्डोनेशिया, विएतनाम, अफ्रीका आदि के लिये तो यही सबसे सही रहेगा। अष्टाध्यायी को देखकर कोई भी समझ सकता है की दुनिया मे इससे अच्छी कोई भी लिपि नहीं है। अगर दुनिया पक्षपातरहित हो तो देवनागरी ही दुनिया की सर्वमान्य लिपि होगी क्योंकि यह पूर्णत: वैज्ञानिक है। अंग्रेजी भाषा में वर्तनी (स्पेलिंग) की विकराल समस्या के कारगर समाधान के लिये देवनागरी पर आधारित देवग्रीक लिपि प्रस्तावित की गयी है।
Writing systems worldwide. Principal scripts at the national level, with selected regional and minority scripts.
Types of Writing Systems-
Logographic-
Chinese
Jurchen
Khitan
Mixtec
Naxi
Nushu
Tangut
Logophonetic-
Akkadian
Aztec
Cretan Hieroglyphs
Cuneiform
Egyptian
Elamite
Epi-Olmec
Hittite
Indus Script
Japanese
Linear A
Linear B
Luwian
Maya
Sumerian
Teotihuacan
Zapotec
Syllabic-
Bengali
Brahmi
Buginese
Burmese
Byblos
Cherokee
Cree
Cypriot
Devanagari
Dhivehi
Ethiopic
Grantha
Gujarati
Gupta
Gurmukhi
hPhags-pa
Inuktitut
Javanese
Kadamba
Kalinga
Kannada
Kashmiri
Kawi
Kharosthi
Khmer
Landa
Lao
Lepcha
Malayalam
Mangyan
Meithei Mayek
Meroïtic
Modi
Nagari
Old Persian
Old Kannada
Oriya
Rejang
Sarada
South Asian Writing Systems
South Asian Writing Systems Comparison
Sinhala
Tagalog
Takri
Tamil
Telugu
Thai
Tibetan
Tocharian
Vatteluttu
Consonantal Alphabet or Abjad-
Arabic
Aramaic
Avestan
Berber
Hebrew
Nabataean
Old Hebrew
Pahlavi
Palmyrene
Phoenician
Proto-Sinaitic
Samaritan
Syriac
South Arabian
Thamudic
Tifinagh
Ugaritic
Syllabic Alphabet or Abugida-
Bengali
Brahmi
Buginese
Burmese
Devanagari
Dhivehi
Grantha
Gujarati
Gupta
Gurmukhi
hPhags-pa
Javanese
Kadamba
Kalinga
Kannada
Kashmiri
Kawi
Kharosthi
Khmer
Landa
Lao
Lepcha
Malayalam
Mangyan
Meithei Mayek
Modi
Nagari
Old Kannada
Oriya
Rejang
Sarada
South Asian Writing Systems
South Asian Writing Systems Comparison
Sinhala
Tagalog
Takri
Tamil
Telugu
Thai
Tibetan
Tocharian
Vatteluttu
Geez Script
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